सुभाष चंद्र बोस

सुभाष चंद्र बोस का नाम सभी लोग जानते हैं हमने कभी ना कभी सुभाष चंद्र बोस का नाम अवश्य सुना होगा वह एक वीर सेनानी थी। उन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए लड़ाई लड़ी।आजादी के दीवाने ने देश के नौजवान बच्चों में नए जीवन का संचार किया।
सुभाष चंद्र बोस का जन्म 25 जनवरी सन 18 सो 97 में कटक में हुआ था। इनके पिताजी का नाम श्री जानकी नाथ बोस था। जो कटक के प्रमुख वकील थे। सुभाष बालक अवस्था में बहुत तेज बुद्धि वाले थे। सन 1913 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की।इसके बाद कोलकाता विश्वविद्यालय में प्रथम श्रेणी में b.a. की उपाधि प्राप्त की।फिर आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए इंग्लैंड चले गए।वहां इन्होंने आईसीएस की परीक्षा उत्तर की और सन 1920 में वापस भारत लौट आए। भारत आकर सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी से मिले। उनके विचारों से वह बहुत प्रभावित हुए।उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेना शुरू कर दिया।महात्मा गांधी के निर्देश पर सुभाष चंद्र बोस देशबंधु चितरंजन  दास के साथ रहकर देश सेवा के काम में जुट गए। इन्होंने श्री दास द्वारा संपादित पत्र अग्रदूत का भी संपादन किया। जल्दी ही आप देश भर में लोकप्रिय हो गए। नौजवानों के तो वह हृदय सम्राट बन गए।
सन 1921 में सुभाष चंद्र बोस ने एक स्वयंसेवक दल का संगठन किया। देश सेवा के फलस्वरूप उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।इन्होंने कांग्रेस अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव रखा जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। सन 1930 में कानून भंग करने के अपराध में इन्हें फिर से जेल जाना पड़ा। जेल में अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई। इसलिए अंग्रेजों ने इन्हें जेल से रिहा कर दिया। अपने स्वास्थ्य लाभ के लिए वे यूरोप गए। वहां पर उन्होंने 4 वर्ष बिताए। वहां जब वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गए तो वापस भारत लौटे। भारत लौटने पर सुभाष चंद्र जी ने हरिपुरा कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष बने। परंतु महात्मा गांधी से विरोध होने के कारण उन्होंने काग्रेस छोड़ दिया और फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की। उन दिनों द्वितीय महायुद्ध का शोर जोरों पर था।अंग्रेजों ने फिर से सुभाष चंद्र जी को गिरफ्तार कर लिया और जेल में डाल दिया।लेकिन सुभाष चंद्र जी ने जेल में आमरण अनशन की घोषणा कर दी। अंग्रेज सरकार के लोग डर गए तो उन्हें जेल से रिहा करके घर में ही नजरबंद कर दिया।1 दिन सुभाष चंद्र जी सरकार की आंखों में धूल झोंक कर घर से भाग निकले और कोलकाता के रास्ते होते हुए पेशावर जा पहुंचे।वहां उन्हें उत्तमचंद नाम का युवक मिला जिसकी सहायता से वह एक गूंगे मुसलमान के बीच में काबुल पहुंचे और वहां से जर्मनी चले गए। वहां पर उन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना की।
जर्मनी से सुभाष चंद्र जी 2 जुलाई 1943 को सिंगापुर पहुंचे। वहां पर भी उन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना की। यहीं पर सुभाष चंद्र जी नेताजी के नाम से प्रसिद्ध हुए।जापान की सहायता से आजाद हिंद फौज ने वर्मा और मलेशिया से अंग्रेजी सेनाओं को मार भगाया। असम की पहाड़ियों में जय हिंद और दिल्ली चलो के नारे गूंजने लगे।सन 1945 में जापान की शक्ति में कमी आने से सारा पासा पलट गया।अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी नगरों पर परमाणु बम गिराए। इस तरह जापान को अपनी हार स्वीकार करनी पड़ी। जापान की पराजय से आजाद हिंद फौज को करारा झटका लगा। उनके कई सैनिकों को गिरफ्तार करके जेल में बंद कर दिया गया।19 अगस्त 1945 को जो सुभाष चंद्र बोस जापान जा रहे थे तो उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया।जहां विमान में अन्य लोग दुनिया छोड़कर चले गए वहां पर सुभाष सुभाष चंद्र जी लापता हो गए।देशवासियों का यह प्रिय नेता अपनी मातृभूमि की सेवा करते हुए अपने  कार्यों से जो कहानी लिख गया वह सदा हमें प्रेरणा देती रहेगी। उनकी बदौलत ही हम आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं। आज भी नेता जी का नारा तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा और जय हिंद भारत वासियों को अपने देश के प्रति मरने मिटने की प्रेरणा देता है।

नमस्कार दोस्तों आपको कैसा लगा कहानी पढ़कर कमेंट में अवश्य बताएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *